यह एक चीज आपकी फसल को हर प्रकार से सुरक्षित रख सकती है।

यह एक चीज आपकी फसल को हर प्रकार से सुरक्षित रख सकती है।



Trichoderma


 नमस्कार दोस्तो,
आर्गेनिक फार्मिंग आज के समय में एक बहुत अच्छा विकल्प है।  जंहा एक और पूरी दुनिया के किसान अधिक पैदावार के लिए केमिकलो का उपयोग कर रहे है वंही कुछ ऐसे भी किसान है जो पूरी तरह से आर्गेनिक खेती किसानी की और आगे आ रहे है।आर्गेनिक खेती में में सबसे बड़ी समस्या कीटो और रोगो से आती है इसलिए आज हम आपको एक ऐसे प्राकृतिक फंगीसाइड के बारे में जानकारी देने जा रहे है जो लगभग मिट्टी में पाए जाने वाले सभी प्रकार की बीमारियों को दूर करने में सक्षम है साथ ही यह पूरी तरह से आर्गेनिक भी है।

आज के समय मे केमिकल कीटनाशको का बहुत चलन है और हम लगभग हर प्रकार के केमिकल कीटनाशको के बारे में जानकारी रखने लगे है परंतु इसके आर्गेनिक उपयो की ओर हमारा ध्यान कम ही जाता है। इसका मुख्य कारण है आर्गेनिक फार्मिंग या आर्गेनिक गार्डनिंग की महत्ता के बारे में कम प्रचार होना।
हम सभी को यह मालूम होना चाहिए कि आर्गेनिक तरीके से उत्पन्न अनाज, फल और सब्जियों में वो सभी पोसक तत्व होते है जो हमे स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है परन्तु जब हम केमिकल फ़र्टिलाइज़र और पेस्टिसाइड के उपयोग द्वारा ये सब उगाते है तो कंही न कही इन हानिकारक तत्वों की कुछ मात्रा हमारी सब्जियों और फलो में भी आती है जो हमारे स्वस्थ पर बुरा प्रभाव भी डालती है।

आज हम आपको एक ऐसे आर्गेनिक उपाय के बारे में बताने जा रहे है जिसके उपयोग में लाने से हम हमारी फसल या पेड़ पौधों में मिट्टी से आने वाली सभी प्रकार की बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकते है। अगर आप किचन गार्डनिंग करते हो या आपकी बालकनी में आपने छोटा सा गार्डन बना रखा है या आप बड़े स्तर पर किसानी करते हो , सभी के लिए ये एक उपाय मिट्टी से संबंधित लगभग सभी प्रकार के रोगों से हमारे पेड़ पौधों की रक्षा करने में सक्षम है।

और ये उपाय है हमारी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का उपयोग करना।
जी है दोस्तो, ट्राइकोडर्मा एक ऐसा उपाय है जो बहुत ही कारगर है और जो भी व्यक्ति आर्गेनिक फार्मिंग करना चाहता है उसके लिए वरदान भी है।

ट्राइकोडर्मा क्या होता है ?


ट्राइकोडर्मा एक जैविक फफुंदीनाशक है जो हमारी फसल में  मिट्टी से आने वाले जड़ तथा तना गलन रोग में फसलों पर लाभदायक पाया गया है। 
यह हर प्रकार की फसल और फल के पेड़ो को भी मिटटी से आने वाले हर प्रकार के रोगों से बचाता हैं।

ट्राइकोडर्मा काम कैसे करता हैं ?

ट्राइकोडर्मा फसल को नुकसान पहुचाने वाले फंगस के सम्पर्क में आकर उन्हें अपना भोजन बना लेते है और उन्हे पूरी तह से समाप्त कर देते है। इसके अतिरिक्त ये कुछ ऐसे विषाक्त पदार्थ का स्राव करते हैं जो मिट्टी में एक प्रकार की सुरक्षा दीवार बनाकर हानिकारक फफूंदों से सुरक्षा देते हैं और भविष्य में आने वाले इसी प्रकार के सभी रोगो से हमारे पेड़ पोधो की रक्षा करते है। अगर हम आसान भाषा में कहे तो यह एक सबसे सस्ता आर्गेनिक पेस्टकंट्रोलर है जो आर्गेनिक फार्मिंग और गार्डनिंग में वरदान की तरह है

ट्राइकोडर्मा को कैसे उपयोग में लाया जा सकता हैं।

इससे पहले की हम आपको इसका उपयोग करने का तरीका बताये आपके लिए ये जानना जरूरी है कि हमे यह किस प्रकार से सस्ती पड़ती है। हम आपको बता दे की केवल  हमे ये उपयोगी ट्राइकोडर्मा साल में एक बार किसी भी बाजार से खरीदनी होती है और ये बहुत ही सस्ती दरों में बहुत से ऑनलाइन प्लेटफार्म में भी मिलती है।
साल में एक बार खरीदने के बाद हम इसे अपने घर पर ही जरूरत जे अनुसार इसे बड़ा सकते  है और इस प्रकार बढ़ाने पर केवल एक बार खरीदने मात्र से हम ऐसे पूरे साल तक उपयोग में ले सकते है। इस प्रकार से यह हमे पुरे साल के  मान से बहुत ही सस्ता पड़ता है।

ट्राइकोडर्मा का प्रयोग निम्न रूप से किया जा सकता है :-

1. इसे हम पानी मे घोलकर सीधे अपने पेड़ पौधो को सिंचाई के दौरान दे सकते है। इसके लिए हमे बस इसे बस जरूरत के अनुसार साफ़ पानी में घोलना होता है और बस सिचाई के माध्यम से अपने पेड़ पोधो को देना होता है।  इस प्रकार से यह हमारे पेड़ पोधो के आस-पास की मिटटी में अच्छी तरह से मिल जाता है और अपना कार्य आरम्भ कर देता है।
2. अगर हम नर्सरी से पौधे लाकर उन्हें अपने खेत या बगीचे में लगा रहे है तो उन पोधो की जड़ को ट्राइकोडर्मा के घोल में डुबोकर लगाने से हमारे पौधे बिना किसी रोग के बढ़ने लगते हैं। ऐसा करने से यह हमारे पेड़ पोधो की जड़ो के साथ अटैच हो जाता है और विभिन्न प्रकार के रोगो से हमारा पौधा बच जाता है और अच्छी ग्रोथ करने लगता है।

3. बीज को खेतों में बुआई या सीडलिंग तैयार करते समय  अगर बीजो में हम इसकी कुछ मात्रा मिलाकर उनकी बुआई की जाए तो बाजो का अंकुरण बहुत अच्छा होता है।


ट्राइकोडर्मा को घर पर कैसे बढ़ाया जाए ?


एक बार बाजार से खरीदने के बाद हम ट्राईकोडर्मा को अपने घर पर ही बहुत आसानी से तैयार कर सकते है। इसके लिए ये दो प्रकार की विधि बहुत कारगर है :-

 विधि (1) :- 20 लीटर साफ पानी मे एक किलो गुड़ मिलाकर उसे अच्छी तरह से मिलाकर उसमे कुछ मात्रा लगभग 100 ग्राम के आस पास, बाजार से खरीदा हुआ ट्राईकोडर्मा को मिला लीजिए और किसी छाया वाले स्थान पर अच्छी तरह से ढककर रख दीजिए।
10 से 12 दिनों के अंदर हमारा 20 लीटर ट्राइकोडर्मा तैयार हो जाएगा अब ऐसे जरूरत के अनुसार अपने पोधो ओर उपयोग कीजिये।

विधि (2) :-  एक किलोग्राम ट्राइकोडरमा को 200 किलोग्राम गोबर में मिलाकर हल्के पानी का छींटा मारकर 15 से 20 दिनों छाया में रखने पर हम इसे खेत मे या अपने गार्डन की मिट्टी में मिलने के लिए भी तैयार कर सकते है।

ट्राइकोडर्मा वैसे तो एक जैविक उत्पाद है परंतु इसके उपयोग के समय हमें उचित सावधानी बरतनी चाहिए और इसके प्रयोग से पहले या बाद में किसी भी रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग नही करना चाहिए।
ट्राइकोडरमा की सेल्फ लाइफ अधिकतम एक वर्ष होती है अतः इसे ख़रीदते समय इसकी मैन्युफैक्चरिंग तारीख को अवश्य चेक करना चाहिए।

उम्मीद है यह जानकारी आपको उपयोगी लगेंगी। 

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